such a punishment of love, मौत के बाद भी कंधा देने कोई नहीं आया, पत्नी ने किया अंतिम संस्कार
such a punishment of love:छत्तीसगढ़ के कवर्धा में समाज का क्रूर चेहरा देखने को मिला है.
दरअसल यहां एक व्यक्ति को प्यार करने की ऐसी सजा मिली कि उसकी मौत के बाद समाज का कोई भी उसके शव को
कंधा देने नहीं पहुंचा. मृतक की पत्नी रोती बिलखती रही और
आखिरकार पत्नी ने ही पुलिस के सहयोग से अपने पति का अंतिम संस्कार किया.
प्यार की मिली सजा
घटना कवर्धा जिले के पांडा तराई थाना क्षेत्र के गांव परसवारा की है.
जहां 50 वर्षीय रज्जू मेरावी की मौत के बाद उसके शव को कंधा देने के लिए ना तो परिवार का कोई सदस्य सामने आया
और ना ही समाज के किसी व्यक्ति ने सहयोग किया. बताया जा रहा है
कि 20 साल पहले रज्जू मेरावी ने पहली पत्नी और बच्चों को छोड़कर अन्य समाज की
दूसरी महिला इंदिरा बाई विश्वकर्मा से शादी कर ली थी. इससे नाराज होकर
समाज ने रज्जू और उसकी पत्नी इंदिरा को समाज से बहिष्कृत कर दिया था.
such a punishment of love
समाज द्वारा हुक्का-पानी बंद कर दिए जाने के बाद रज्जू और उसकी पत्नी रोजी रोटी के लिए मजदूरी करने
इलाहाबाद जाकर रहने लगे. इलाहाबाद में रहने के दौरान ही रज्जू की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद पति का इलाज
कराने के लिए उसकी पत्नी इंदिरा उसे लेकर वापस गांव आ गई.
हालांकि गांव वापस लौटने के बाद ना इंदिरा को उसके मायके में आसरा मिला और ना ही
समाज के किसी व्यक्ति ने मदद की. आखिरकार दंपति को गांव के आंगनबाड़ी में आसरा लेना पड़ा.
जहां रज्जू की तबीयत बिगड़ती चली गई और आखिरकार 8 सितंबर को रज्जू की मौत हो गई.
हालांकि रज्जू की मौत के बाद भी समाज के लोगों का दिल नहीं पसीजा और रज्जू के शव को कंधा देने के लिए कोई
व्यक्ति आगे नहीं आया. रज्जू की पत्नी रोती बिलखती रही लेकिन
इसके बावजूद पूरे एक दिन तक कोई मदद के लिए नहीं आया.
आखिरकार 9 सितंबर को पुलिस को घटना के बारे में सूचना मिली तो
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अंतिम संस्कार की पहल की. पुलिस ने मृतक के परिवारजनों से संपर्क किया
लेकिन कोई भी सहयोग करने को तैयार नहीं हुआ. इसके बाद
पंचायत प्रतिनिधि बलराम साहू औक कोटवार रामअवतार चौहान की मदद से
पांडातराई थाना पुलिस टीआई जेएल शांडिल्य, सहायक उपनिरीक्षक सुकलाल धुर्वे,
आरक्षक अमित वर्मा और मृतक की पत्नी ने मिलकर बुजुर्ग के शव का अंतिम संस्कार किया.
घटना के बाद जहां लोग समाज के क्रूर चेहरे की आलोचना कर रहे हैं, वहीं पुलिस के मानवीय चेहरे की तारीफ भी कर रहे हैं.