उल्टी गिनती शुरू, NASA का रॉकेट लॉन्च को तैयार, चंद्रमा पर इंसान को बसाने की तैयारी

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उल्टी गिनती शुरू, NASA का रॉकेट लॉन्च को तैयार, चंद्रमा पर इंसान को बसाने की तैयारी

NASA का आर्टेमिस-1 मिशन करीब आधी सदी के बाद मनुष्यों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने के एक

महत्वपूर्ण कदम की ओर अग्रसर है. इस मिशन को
29 अगस्त 2022 को रवाना किया जाना है और नासा की

अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है. यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा

तक जाएगा, कुछ छोटे सैटेलाइट को कक्षा में छोड़ेगा और
खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा. नासा का उद्देश्य अंतरिक्ष

यान के परिचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करना और चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले

हालात की जांच करना है. साथ ही सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष यान

और उसमें सवार सभी अंतरिक्ष यात्रा सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर लौट सके.

‘द कन्वरसेशन’ ने कोलोराडो बोल्ड विश्वविद्यालय में प्रोफसर
और अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं नासा के प्रेसिडेंशियल ट्रांजिसन

टीम के पूर्व सदस्य जैक बर्नस से आर्टेमिस मिशन के बारे में विस्तार से बताने को कहा. उनसे पूछा कि आर्टेमिस कार्यक्रम

से अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में क्या सुनिश्चित होगा,
यह चंद्रमा पर मानव कदम पड़ने की आधी सदी के बाद अंतरिक्ष

कार्यक्रम में बदलाव को किस तरह से प्रतिबिंबित करेगा. यह भी पूछा गया कि

आर्टेमिस-1 अन्य रॉकेट से कैसे अलग है जिन्हें नियमित रूप से प्रक्षेपित किया जाता है?

आर्टेमिस-1 में लगे हैं शक्तिशाली इंजन

आर्टेमिस-1 नई अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली की पहली उड़ान होगी. यह हेवी लिफ्ट (भारी वस्तु कक्षा में स्थापित करने में

सक्षम) रॉकेट है जैसा कि नासा उल्लेख करता है. इसमें
अबतक प्रक्षेपित रॉकेटों के मुकाबले सबसे शक्तिशाली इंजन

लगे हैं. यहां तक कि यह रॉकेट साल 1960 एवं 1970 के दशक में चंद्रमा पर

मनुष्यों को पहुंचाने वाले अपोलो मिशन के सैटर्न प्रणाली से भी शक्तिशाली है.

क्या है आर्टेमिस-1 की खासियत

यह नई तरह की रॉकेट प्रणाली है क्योंकि इसके मुख्य इंजन दोनों तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्रणाली का सम्मिश्रण

है, साथ ही अंतरिक्ष यान से प्रेरणा लेकर दो ठोस रॉकेट बूस्टर भी लगे हैं
. यह वास्तव में अंतरिक्ष यान (स्पेस शटल) और

अपोलों के सैटर्न पंचम रॉकेट को मिलाकर तैयार हाइब्रिड स्वरूप है. यह परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑरियन

क्रून कैप्सूल का वास्तविक कार्य देखने को मिलेगा.
यह प्रशिक्षण चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने होगा.

यह कैप्सूल के ऊष्मा रोधक कवच (हीट शिल्ड) के परीक्षण के लिए भी यह महत्वपूर्ण है जो 25 हजार मील प्रति घंटे की

रफ्तार से पृथ्वी पर लौटते समय घर्षण से उत्पन्न होन वाली गर्मी से कैप्सूल और उसमें मौजूद लोगों को बचाता है.

अपोलो के बाद यह सबसे तेज गति से यात्रा करने वाला कैप्सूल होगा, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि गर्मी रोधी कवच

ठीक से काम करे. यह मिशन अपने साथ छोटे सैटेलाइट की सीरीज

को ले जाएगा जिन्हें चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

 

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Ajay Sharmahttp://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

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