Shrimad Bhagwat Katha:सफलता का सर्वोत्तम साधन मनोबल है:आचार्य विनोद
Shrimad Bhagwat Katha: कुशीनगर के फाजिलनगर विकास खंड के जौरा विशुनपुरा में आचार्य विनोद जी का श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए श्रीधाम अयोध्या से पधारे आचार्य विनोद जी महाराज ने कहा कि सफलता का सर्वोत्तम साधन मनोबल है।यह एक महत्वपूर्ण और सार्थक विचार है।
मनोबल, अर्थात् मानसिक और भावनात्मक शक्ति, किसी भी व्यक्ति के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यावश्यक होता है।
अगर व्यक्ति का मनोबल ऊँचा है, तो वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी दृढ़ रह सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करता रहता है।
भगवान श्रीराम का जीवन इस संदर्भ में अत्यंत प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा हुआ था, लेकिन उनका मनोबल कभी नहीं टूटा।
जब उन्हें राजपाट छोड़कर वनवास जाना पड़ा, तब उन्होंने इस निर्णय को सहजता से स्वीकार किया। यह उनकी आंतरिक शक्ति और मनोबल का प्रतीक था। वे जानते थे कि यह एक कठिन मार्ग है,
लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्यों से कभी मुंह नहीं मोड़ा। उनका मनोबल और धैर्य उन्हें सफलता की ओर ले गया।
श्रीराम ने वनवास के दौरान कई कठिन चुनौतियों का सामना किया, जैसे माता सीता का अपहरण और रावण से युद्ध।
रावण जैसे योद्धा और शक्तिशाली राजा के सामने भी उन्होंने अपने मनोबल को टूटने नहीं दिया। उन्होंने अपनी सेना में आत्मविश्वास भरा और उनका नेतृत्व करते हुए कठिन युद्ध में विजय प्राप्त की।
यह केवल उनकी शारीरिक शक्ति का परिणाम नहीं था, बल्कि उनके अदम्य मनोबल और दृढ़ निश्चय का परिणाम था।इस दौरान मुख्य यजमान इशरावती देवी व रमाशंकर उपाध्याय, बर्फी देवी व कृष्णानंद उपाध्याय, विद्यावती देवी, दुर्गावती देवी,दमयंती देवी,बसंती देवी,अरुणा देवी, गीता देवी,सुमन मणि, कालिंदी उपाध्याय,साधना,
प्रियंका,अराधना,बाबा बलिराम दास,आचार्य पंडित चंद्रशेखर पांडेय शास्त्री,साधन सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष नथुनी उपाध्याय , बाल्मीकि उपाध्याय,देवेन्द्र ऊर्फ इंदू उपाध्याय, सुभाष उपाध्याय,आलोक चंद्र उपाध्याय,
कुलदीप उपाध्याय, बेचू प्रसाद,गिरीश उपाध्याय, धर्मेंद्र उपाध्याय,रामबिलास उपाध्याय, हरिकेश उपाध्याय,राघवेन्द्र उपाध्याय, पशुपतिनाथ, गंधर्व आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।