Story: अहंकार और मोह में फंसकर स्वयं को सर्वोच्च मानने वाला व्यक्ति कैसे भ्रमित हो सकता हैं:डा.इंद्रजीत पाण्डेय
Story: जनपद कुशीनगर के फाजिलनगर मे विकास खण्ड तमकुही के अमरवा खुर्द में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमयी भागवत कथा के दूसरे दिन राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त कथा वाचक डा.इंद्रजीत पाण्डेय ने नारद मोह कथा का वर्णन करते हुए कहा कि इस कथा में एक गहरा आध्यात्मिक संदेश छुपा हुआ है कि अहंकार और मोह में फंसकर स्वयं को सर्वोच्च मानने वाला व्यक्ति कैसे भ्रमित हो सकता है।
कथा का आरम्भ करते हुए उन्होंने कहा कि नारद मुनि अपने ज्ञान और भक्ति पर अत्यधिक गर्व करते हुए भगवान विष्णु से कहे कि प्रभु मै मोह माया से विरत हो गया हू
अब इसका प्रभाव मुझपर कभी नहीं होगा। प्रभु को लगा कि नारद को घमंड हो गया है जो एक भक्त के लिए उचित नहीं है।
भगवान विष्णु ने अपनी माया से एक सुंदर नगर का निर्माण किया नारद मुनि वहां के राजकुमारी के सौंदर्य को देखकर आकर्षित हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि उन्हें एक सुंदर रूप प्रदान करें जिससे राजकुमारी उन्हें पसंद कर सके।
भगवान ने नारद को वानर का चेहरा दे दिया जब नारद ने यह देखा तो उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ। भगवान विष्णु ने नारद को बताया कि यह उनकी माया थी,
कथा वाचक ने बताया
जिससे वह प्रभावित हो गए थे। कथा वाचक ने कहा कि चाहे व्यक्ति कितना भी ज्ञानी या भक्तिमान हो, अहंकार और मोह उसे भ्रमित कर सकते हैं।
भगवान विष्णु ने नारद को सिखाया कि केवल भक्ति या ज्ञान ही नहीं, बल्कि विनम्रता और समर्पण भी आवश्यक हैं। यह कथा भक्ति और आंतरिक शांति के मार्ग पर अहंकार को छोड़ने की प्रेरणा देती है।
कथा के पूर्व जजमान प्रभुनाथ सिंह ने सपत्नीक विधि विधान से व्यास गद्दी का पूजन किया।
इस दौरान संदीप सिंह, राजकुमार पाण्डेय, अजीत सिंह, राजनेत पाण्डेय, पूर्व प्रधान संजय राय, प्रदीप सिंह रामनरेश पांडेय, शाश्वत पाण्डेय, पंकज सिंह, अनुराग राव, राघवेन्द्र राव, सत्यप्रकाश राय आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।