budget 2024: Ram Mandir पर शायरी के जरिए Akhilesh ने ले लिए योगी के मजे, महफिल लूट ले गया कोई जबकि सजाई हमने…
budget 2024: उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश किए गए बजट 2024- 25 पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने जोरदार हमला बोला। राम मंदिर कार्यक्रम पर अखिलेश ने सीएम योगी आदित्यनाथ के मजे लिए। पीएम मोदी पर पूरा कार्यक्रम फोकस होने पर उन्होंने तंज कसा।
उन्होंने कहा कि बजट के लिए निर्धारित प्रावधानों को जनता तक पहुंचने में सरकार कामयाब नहीं हुई है। उन्होंने नगर विकास विभाग से लेकर गृह विभाग तक के बजट का आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि जो बजट प्रावधान किए गए, उसका आधा पैसा भी खर्च नहीं हो पाया। सरकार बजट
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राशि खर्च कर पाने में कामयाब नहीं हो पाई। अखिलेश यादव ने दोहराया कि सरकार 90 फीसदी लोगों के लिए 10 फीसदी बजट रखती है। वहीं, 10 फीसदी लोगों को 90 फीसदी बजट का लाभ देती है।
उन्होंने इस सवाल किया कि इस बजट से महंगाई पर कितनी राहत मिलेगी? कितने युवाओं को रोजगार मिलेगा? भ्रष्टाचार को रोकने में कितनी सफलता मिलेगी?
जीएसटी की मार झेल रहे व्यापारियों को इससे कितना लाभ मिलेगा? क्या इस बजट से किसानों के बोरी से चोरी रुकेगी कि नहीं। किसानों की आय बढ़ेगी कि नहीं।
राम मंदिर कार्यक्रम पर कसा तंज
राम मंदिर कार्यक्रम पर सीएम योगी आदित्यनाथ पर करारा तंज कसा। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के फोकस में रहने पर शायरी के जरिए हमला बोला।
उन्होंने कहा कि पता नहीं वे अयोध्या कितनी बार गए। सड़क कैसा बनेगा? कैसी लाइट लगेगी? सबको देखा। लेकिन, कार्यक्रम के दिन वे नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि,
हुजूरे आला आज तक खामोश बैठे हैं इसी गम में।
सजाई थी हमने, महफिल लूट ले गया कोई।।
अखिलेश ने सीएम योगी के कार्यक्रम को लेकर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में रेड कार्पेट बिछा हुआ था। उसमें लाइन बनी हुई थी। कहां से मुड़ना है? कौन उस पर चलेगा। सब तय था। उस रेड कार्पेट पर नेता सदन को चलने तक नहीं दिया गया। शायरी के जरिए उन्होंने कहा कि,
लाखों दिए जलाए पर खुद को रोशनी में न ला पाए
इसे कहते हैं चिराग तले अंधेरा होना।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जो राम को लाए हैं, कहने वाले लोग पाप कर रहे हैं। राम तो इस देश के कण-कण में विद्यमान हैं। जब राम मंदिर नहीं था,
तब भी राम थे। उन्होंने कहा कि हमारे राम मंदिर पर न बोलने पर सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि जब राम दिल में हों तो बोलने की क्या जरूरत है।
बजट के खर्च पर किया सवाल
अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी होने का नारा, विपक्ष का नहीं है। दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की डबल इंजन की सरकार का यह नारा है।
सरकार यह स्पष्ट करें कि किसानों की आय दोगुनी होगी होगी या नहीं? कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिलेगी या नहीं? अच्छी दवाई, अच्छी पढ़ाई के लिए बजट में कितना आवंटन है?
अखिलेश ने कहा कि बिजली के जो भी कारखाने लगाए गए थे। वह पूरी क्षमता पर नहीं चल रहे हैं। सरकारी क्या बताएं कि बिजली के नए कारखाने के लिए कितना बजट आवंटित किया गया है?
नई सड़कों को तो छोड़िए, सड़कों के गड्ढे भरने में कोई प्रावधान है या नहीं है। यह देखा जाना चाहिए। गड्ढ़ों को भरने के बहाने सरकार ने कितना पैसा खर्च किया है?
अखिलेश यादव ने कहा कि आप बजट इतना बड़ा दिख रहे हैं। जमीन पर वह क्या दिख रहा है। आम लोगों को इस बजट का कितना लाभ मिलेगा? यह भी स्पष्ट तौर पर सरकार को जनता के सामने रखना चाहिए। उन्होंने एक शायरी पढ़ते हुए कहा कि
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।
यह बजट कुछ इसी प्रकार का है। भाजपा सरकार ने जनता को कितना लाभ दिया है। यह भी सामने रखें। आप वन ट्रिलियन डॉलर इकोनामी का सपना दिखा रहे हैं। हर वर्ष मार्च में यह सपना दिखाया जाता है।
लेकिन, जमीन पर इसका प्रभाव आज तक नहीं दिख पाया है। उन्होंने शिवपाल यादव का नाम लिए बगैर कहा कि हमें चाचा का नाम लेकर छेड़ा जाता है। हम उन्हें तथ्यों के आधार पर घेर रहे हैं।
पांचवीं अर्थव्यवस्था पर तंज
अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के भारत को विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था बनाए जाने के दावों पर तंज कसते हुए हमला बोला। उन्होंने कहा कि हम विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था हैं, लेकिन आज भी देश की 80 करोड़ आबादी 5 किलो अनाज के सहारे है।
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विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था वाले देश में किसानों को 5 फीसदी का लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों की बोरी से 5 किलो की चोरी जारी है। पुराने पेंशन के लिए पांच पैसे भी नहीं हैं।
युवाओं के लिए कोई रोजगार या 500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया जा रहा है। वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराए में कंसेशन 5 फीसदी तक नहीं है। अखिलेश ने शायरी के जरिए तंज कसा,
यहां कुछ और कहता है वहां कुछ और कहता है,
हकीकत कुछ है, लेकिन दास्तां कुछ और कहता है।
कली से ताजगी फूलों से खुशबू हो गई गायब
चमन का हाल कुछ है, बागवां कुछ और कहता है।।