earphone casing:इयरफोन के तार आपस में क्यों उलझ जाते हैं? 99% लोग नहीं जानते इसके पीछे का विज्ञान
earphone casing:उम्मीद है कि आप इस खबर को मोबाइल पर पढ़ रहे होंगे.अगर लैपटाप पर देख रहे तो भी
कोई बात नहीं. आपके पास स्मार्ट डिवाइस है तो ईयरफोन (earphone casing) भी जरूर रखते होंगे
और सभी ईयरफोन्स रखने वाले के साथ एक समस्या कॉमन है और वो ये है कि जेब या बैग में ईयरफोन रखने पर उसके
तार आपस में उलझ जाते हैं फिर इयरफोन्स को सुलझाने में हालत खराब हो जाती है.
अभी तक आपको लगता होगा कि ईयरफोन्स के उलझने में आपकी गलती है लेकिन ऐसा नहीं है.
जब भी किसी ईयरफोन के तार आपस में उलझते हैं तो उसके पीछे
ये साइंस काम करता है और इस साइंस को ‘नॉट थ्योरी’ के नाम से जाना जाता है.
नॉट थ्योरी से इयरफोन(earphone casing) के तारों का कनेक्शन
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के दो रिसर्चर ने ईयरफोन के तारों में होने वाली उलझन को लेकर एक दिलचस्प रिसर्च की
है, जिन्होंने इसके पीछे की वजह ये बताई. साल 2012 में दोनों रिसर्चर ने नॉट थ्योरी का बकायदा अध्ययन किया
जिनमें उन्होंने पाया कि इन तारों के उलझनें के पीछे सांइस काम करती है.
इसके लिए उन्होनें अलग-अलग लंबाई के कई तारों को लेकर एक मजेदार प्रयोग किया और पाया कि तारों को उलझने में
केवल 10 सेकेंड्स का समय लगता है. इस थ्योरी को गांठ के सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है.
क्या था रिसर्चर के एक्सपेरिमेंट में
रिसर्चर ने नॉट थ्योरी का अध्ययन करने के लिए कई अलग-अलग लंबाई के तार लिए और उनको एक डिब्बे में डालकर
घुमाना शुरू किया. रिसर्चर ने डिब्बे को 5-10 बार घुमाने के बाद पाया कि 10 सेकेंड्स में ही इयरफोन आपसे में उलझ
गए. तारे उलझने की इस प्रक्रिया में तारों की लंबाई और मोटाई का भी फर्क पड़ता है.
तार जितने लंबे और मुलायम होंगे उनमें गांठ पड़ने के चांस उतने ही ज्यादा होंगे.