Mortgage:जाओ, नहीं देंगे लोन की किस्‍त…’, हजारों चीनियों का यह दर्द आपको अपने जैसा लगेगा..? 

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Mortgage:जाओ, नहीं देंगे लोन की किस्‍त…’, हजारों चीनियों का यह दर्द आपको अपने जैसा लगेगा..?

चीन का रियल एस्‍टेट संकट (China Real Estate Crisis) गहरा गया है।

हजारों चीनी आर-पार की लड़ाई पर उतर आए हैं। 100 से ज्‍यादा शहरों में घर खरीदारों ने लोन

का रिपेमेंट करने मना कर दिया है। वे सड़कों पर उतर आए हैं। स्थितियां लगातार बिगड़ती जा रही हैं।

प्रोजेक्‍ट पूरा होने में देरी उनकी नाराजगी की वजह है। इन्‍होंने इन प्रोजेक्‍टों में घर बुक कराए हैं।

हालांकि, डेवलपर (Developers) इन्‍हें समय से पूरा नहीं कर पाए हैं। कई तो दीवालिया हो गए हैं।

इसने लोगों के घर का मालिक बनने का सपना खटाई में डाल दिया है।

बेशक, यह दर्द चीन का है। लेकिन, कहानी कुछ-कुछ भारत जैसी है।

भारत में भी लंबे वक्‍त से घर खरीदारों का इम्तिहान लिया जाता रहा है।

चीन का विद्रोह उन सभी के लिए सबक है जो भारतीय घर खरीदारों (Home Buyers) के सब्र की

अग्निपरीक्षा लेते आए हैं। अगर ये हालात भारत में नहीं बने तो उसके पीछे सिर्फ साख बिगड़ने का डर रहा है।

भारत में अगर कोई लोन लेकर अपार्टमेंट बुक कराए और उसका रिपेमेंट करने से मना कर दे

तो सिबिल (CIBIL) स्‍कोर बिगड़ जाता है।

चीन और भारत के प्रॉपर्टी बाजार में कई समानताएं हैं। इन दोनों देशों में घर

खरीदारों को प्रोजेक्‍ट में विलंब का सामना करना पड़ता है। घर खरीदने के लिए लोन आसानी से मिल जाता है।

लेकिन, प्रॉपर्टी का पजेशन मिलने से पहले ही लोन के रिपेमेंट की तलवार लटक जाती है।

घर खरीदारों से पैसा ऐंठ लेने वाले डेवलपर्स की चालबाजी भी एक जैसी है।

ये कानूनी प्रक्रियाओं का जमकर उल्‍लंघन करते हैं।

चीन में क्‍या हुआ है?

चीन में बड़ी संख्‍या में प्रोजेक्‍ट अधूरे पड़े हैं। कोरोना की पाबंदियों के कारण इनके पूरे होने का रास्‍ता भी नहीं

बन पा रहा है। समय से प्रोजेक्‍ट पूरा न होने से घर खरीदारों का धैर्य टूट गया।

जुलाई में हजारों चीनियों ने कह दिया कि वे होम लोन का रिपेमेंट नहीं करेंगे।

डिलीवरी होने के बाद ही वे लोन का रिपेमेंट करेंगे। बायकॉट की शुरुआत हेनान प्रांत से हुई।

बाद में बहिष्‍कार की यह चिंगारी हुनान, हुबी, शानशी और 100 से ज्‍यादा प्रांतों में फैल गई।

करीब एक साल पहले चीन के प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने अरबों डॉलर के लोन

लौटाने में डिफॉल्‍ट कर दिया था। इससे चीन के पूरे प्रापर्टी मार्केट पर संकट के बादल छा गए।

चीन ने आर्थिक रफ्तार को बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट डेवलपमेंट पर फोकस किया था।

इसके तहत आसान शर्तों पर लोन दिया जाने लगा। रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों ने इस मुहिम का फायदा उठाया।

भारी-भरकम लोन लेकर उन्‍होंने कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू कर दिए। यह और बात है

कि इनमें कई प्रोजेक्ट व्यावहारिक नहीं थे। इससे सेक्टर को नुकसान होने लगा। कई टाउनशिप बनकर खड़े हो गए

जबकि रहने वाला एक आदमी नहीं था। इस कारण कंपनियों के आगे के प्रोजेक्टों पर असर पड़ा।

नौबत यह आ गई कि आज के दिन कई लोन न चुका पाने के कारण दीवालिया होने की कगार पर हैं

या हो गई हैं। चीन के रियल एस्टेट सेक्टर पर 300 अरब डॉलर का बोझ है।

भारत में क्‍या हैं हालात?

भारत में भी हालात बहुत अलग नहीं हैं। देश में रियल एस्‍टेट सेक्‍टर पर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये

का बोझ है। इस लोन में करीब 63 फीसदी हिस्‍सेदारी गैर-बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनियों (NBFC) और हाउसिंग

फाइनेंस कॉरपोरेशंस (HFC) की है। बाकी का 37 फीसदी बोझ बैंकों पर है।

कंपनियों को बांटा गया 90 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा का कर्ज मुकदमेबाजी में फंसा हुआ है।

300 रियल एस्‍टेट मामलों में एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल) का दरवाजा खटखटाया गया है।

हालांकि, इन सभी बातों के बावजूद कोरोना के बाद घरों की बिक्री बहुत ज्‍यादा नहीं घटी है।

क्‍या देखकर आपको लेना चाहिए घर?

कई अध्‍ययन कहते हैं कि अगर घर की कॉस्‍ट पांच साल की ग्रॉस इनकम से ज्‍यादा है तो वह किफायती नहीं है।

यानी आपको ऐसे घर को खरीदने के लिए हाथ नहीं डालना चाहिए। दूसरी शर्त यह है

कि लोन की ईएमआई टेक-होम सैलरी के 50 फीसदी से ज्‍यादा नहीं हो।

यह और बात है कि भारत और चीन दोनों जगह घर खरीदार इन फैक्‍टर्स का ध्‍यान में नहीं रखते हैं

Ajay Sharmahttp://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

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