sea ​​gold :इसे कहते हैं समंदर का तैरता सोना, अब तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए इसका रहस्य

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sea ​​gold :इसे कहते हैं समंदर का तैरता सोना, अब तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए इसका रहस्य

sea ​​gold:एकबार फिर एम्बरग्रीस यानी व्हेल की उल्टी खबरों में सुर्खियां बटोर रही है.

हाल ही में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने 4 किलो एम्बरग्रीस जब्त किया,

जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये आंकी गई है. आपको जानकर हैरानी होगी की पिछले 15 महीनों में पुलिस ने

करीब 30 किलो व्हेल की उल्टी को जब्त की है. भारत में एम्बरग्रीस की खरीद-फरोख्त करना गैर कानूनी है.

एम्बरग्रीस यानी व्हेल की उल्टी वो चीज है जिसे समंदर का तैरता सोना कहा जाता है.

आज यहां हम समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर व्हेल की उल्टी इतनी अनोखी क्यों है,

क्यों इसकी कीमत ब्लैक मार्केट में इतनी ज्यादा है और इसके साथ ही

ये समझने की कोशिश भी करेंगे कि क्यों इसे 40 से ज्यादा देशों में बैन किया गया है.

क्या है एम्बरग्रीस, क्यों है आनोखा?

इस खबर को पढ़ते हुए आपके दिमाग में ये ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर क्यों

किसी जानवर की उल्टी इतनी मंहगी बेची जाती है? एम्बरग्रीस किसी कठोर मोम के जैसा होता है

जो स्पर्म व्हेल के आंतों में बनता है. फ्लोटिंग गोल्ड नाम से फेमस एम्बरग्रीस समंदर में तैरते हुए पाया जाता है.

रिसर्चर क्रिस्टोफर केंप के अनुसार एम्बरग्रीस बनने की प्रक्रिया एक अननैचुरल घटना है.

इसमें किसी मांस का टुकड़ा व्हेल के पेट में चला जाता है और व्हेल इसे पचा नहीं पाता फिर उल्टी के साथ बाहर

निकाल देता है. इसके सिवा कई और थ्योरी भी इसके बनने के लिए दी जाती है

पर वैज्ञानिकों के पास अभी भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.

क्यों होती है इतनी मंहगी?

इंटरनेशल मार्केट में एम्बरग्रीस की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये किलो तक बताई जाती है.

इसके साथ ही एम्बरग्रीस की कीमत उसकी क्वॉलिटी के हिसाब से तय की जाती है.

आपको उल्टी शब्द से लग रहा होगा कि इससे दुर्गंध आती होगी, लेकिन ऐसा नहीं है.

हल्के पीले रंग की ये उल्टी शुरुआत में बदबू देती है, लेकिन धीरे धीरे पुराना होने के बाद

इससे हल्की मीठी खुशबू आती है. इसका इस्तेमाल परफ्यूम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा किया जाता है,

क्योंकि इससे निकलने वाली खुशबू लंबे समय के लिए ठहरती है.

सबसे ज्यादा एम्बरग्रीस की मांग दुबई में की जाती है. कई जगहों पर

इसका इस्तेमाल दवाओं के प्रोडक्शन में भी किया जाता है. भारत में वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट 1972 के अनुसार

इसे बेचना या इसका व्यापार करना गैर कानूनी है. ये बेहद ही दुर्लभ

होने की वजह से भारत और अमेरिका सहित 40 से ज्यादा देशों में बैन है.

Ajay Sharmahttp://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

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